
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अब्बास नगर, मल्लाही टोला इलाके में आवारा कुत्तों ने दो मासूम बच्चों को निशाना बना लिया। बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है और इलाके में डर और गुस्से का माहौल है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम सिर्फ कागज़ों में वैक्सिनेशन और नियंत्रण की बातें करता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। हर साल आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने और उन्हें वैक्सीनेट करने के नाम पर मोटा बजट पास होता है, लेकिन वह आखिर जाता कहां है — यह बड़ा सवाल है।
इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि न निगम की टीम आती है, न कोई जागरूकता अभियान चलता है। कुत्ते खुलेआम घूमते हैं, गाड़ियों और राह चलते बच्चों पर हमला करते हैं। घटना के बाद अब्बास नगर के कई परिवार बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं, और ऐसा लगता है जैसे उन्होंने आंखों पर काली पट्टी बांध रखी हो।

सवाल जो उठने लाजिमी हैं:
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नगर निगम के पास वैक्सिनेशन और नसबंदी के लिए जारी फंड का क्या हो रहा है?
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इन हमलों के बाद कोई त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं?
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क्या लखनऊ की सड़कों पर रहना अब बच्चों के लिए खतरे से खाली नहीं?